
SCO में INDIA और PAKISTAN क्यों शामिल होते हैं, जबकि उनके रिश्ते तनावपूर्ण हैं? जानिए संगठन से जुड़े 3 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब
SCO में INDIA और PAKISTAN क्यों शामिल होते हैं, जबकि उनके रिश्ते तनावपूर्ण हैं? जानिए संगठन से जुड़े 3 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब
1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस और उसके पड़ोसी देशों के बीच सीमाओं को लेकर विवाद शुरू हो गए। यह विवाद जंग में न बदल जाए, इस डर से रूस ने एक संगठन बनाने की योजना बनाई। इसके अलावा, रूस को इस बात का भी खतरा था कि चीन, सोवियत संघ के सदस्य रहे छोटे देशों की जमीनों पर कब्जा न कर ले।
इसी खतरे को टालने के लिए, 1996 में रूस ने चीन और कुछ पूर्व सोवियत देशों के साथ मिलकर एक संगठन का गठन किया। इसकी घोषणा चीन के शंघाई शहर में की गई, जिससे इस संगठन का नाम ‘शंघाई फाइव’ रखा गया। इस संगठन के शुरुआती 5 सदस्य थे: रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान।
जब इन देशों के सीमा विवाद सुलझ गए, तो इस संगठन को एक अंतरराष्ट्रीय रूप दिया गया। 2001 में उज्बेकिस्तान भी इसमें शामिल हो गया, और इसे नया नाम ‘शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (SCO) दिया गया।
SCO की स्थापना के बाद INDIA को भी इसका हिस्सा बनने का न्योता मिला, लेकिन INDIA ने उस समय इसमें शामिल होने से मना कर दिया था। इस बीच, चीन ने PAKISTAN को संगठन में शामिल करने की कोशिश शुरू कर दी। इससे रूस को डर लगा कि चीन का संगठन में प्रभाव बढ़ सकता है। तब रूस ने INDIA को SCO में शामिल होने की सलाह दी ताकि संतुलन बना रहे।
SCO के सदस्य देशों के साथ INDIA का व्यापार बढ़ रहा था, जिससे संगठन के साथ बेहतर संबंध जरूरी हो गए थे।
मध्य एशिया में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए SCO एक अहम मंच है, क्योंकि इस संगठन में सारे मध्य एशियाई देश शामिल हैं।
INDIA के पास अफगानिस्तान पर अपने विचार रखने का कोई अन्य मंच नहीं था। ऐसे में SCO के जरिए INDIA को इन देशों का सहयोग मिल सकता है।
आतंकवाद और ड्रग्स की समस्याओं से निपटने के लिए INDIA को SCO के सदस्य देशों के सहयोग की जरूरत है।
छोटे मध्य एशियाई देश नहीं चाहते थे कि सिर्फ चीन और रूस संगठन पर हावी हों, इसलिए वे INDIA को संगठन में एक बैलेंसिंग पावर के रूप में देख रहे थे।