नील और स्नेहा की मुलाकात ऑफिस में हुई थी। नील एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, और स्नेहा एक क्रिएटिव डिजाइनर। दोनों की अलग-अलग दुनिया थी, मगर कुछ ऐसा था जो उन्हें खींच रहा था। शुरुआत में दोनों के बीच हल्की-फुल्की बातचीत होती थी, लेकिन धीरे-धीरे दोस्ती ने गहराई पकड़ ली। नील थोड़ा अंतर्मुखी था, पर स्नेहा ने उसके जीवन में रंग भर दिए थे।
स्नेहा का हंसमुख स्वभाव, उसकी छोटी-छोटी बातें, और उसके साथ बिताए पलों ने नील के दिल में खास जगह बना ली थी। दोनों अक्सर लंच पर साथ बैठते, ऑफिस के बाद देर तक बातें करते, और यूं ही हर दिन को खूबसूरत बनाते रहते। एक दिन स्नेहा ने नील से कहा, “नील, कभी-कभी मुझे लगता है कि हम एक-दूसरे के लिए बने हैं। पर मैं समझ नहीं पाती कि क्या तुम भी ऐसा ही सोचते हो।” नील थोड़ी देर तक चुप रहा, फिर बोला, “स्नेहा, मैं तुम्हारे बिना अधूरा सा महसूस करता हूँ। तुम्हारी बातें, तुम्हारा साथ,

ये सब मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया है।” स्नेहा मुस्कुराई, पर उसकी आंखों में एक दर्द भी था। उसने नील का हाथ थामते हुए कहा, “नील, मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती, लेकिन मेरी जिंदगी में कुछ ऐसे उलझनें हैं जिनके बारे में तुम नहीं जानते।” नील हैरान था, पर उसने स्नेहा से कुछ नहीं पूछा। वह जानता था कि स्नेहा उसकी सच्ची दोस्त है, और उसे वक्त देने की जरूरत है।
कुछ महीनों तक स्नेहा उससे दूर-दूर सी रहने लगी। नील बेचैन था, पर उसने अपने मन को समझा लिया था कि अगर स्नेहा उससे सच्चा प्यार करती है, तो वह जरूर लौटेगी। फिर एक दिन, स्नेहा ने नील को फोन किया और रोते हुए बोली, “नील, मैं वापस आ गई हूँ। मैं नहीं जानती कि कल क्या होगा, पर आज मैं तुमसे इतना ही कहना चाहती हूँ कि तुम मेरे लिए बहुत खास हो।” नील ने उसे अपने दिल से लगा लिया और उसे समझाया, “स्नेहा, हमारे बीच जो भी है, वह सच्चा है। और मैं तुम्हारे साथ हर कदम पर हूँ, चाहे तुम्हारी जिंदगी में कितनी भी कठिनाई क्यों न आए।”
उस दिन के बाद दोनों ने मिलकर जिंदगी की हर मुश्किल का सामना किया। स्नेहा की परेशानियां थीं, पर नील का प्यार हर दर्द का मरहम बन गया। दोनों ने एक-दूसरे का सहारा बनकर जीवन को जीना सीखा, और यूं ही उनकी प्रेम कहानी सच्चे इमोशन और एक-दूसरे के प्रति अटूट भरोसे की मिसाल बन गई।