डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी राजनीति में वापसी का असर न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया पर होगा। ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान उनकी नीतियों और विवादास्पद फैसलों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई चर्चाओं और विवादों को जन्म दिया था। अगर 2024 के चुनाव में वे फिर से जीतते हैं, तो इसके संभावित प्रभावों पर नजर डालते हैं।
1. अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव
ट्रम्प की विदेश नीति में “अमेरिका फर्स्ट” (America First) का दृष्टिकोण प्रमुख है। उनके पिछले कार्यकाल में उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों से अमेरिका को बाहर कर लिया था, जैसे कि पेरिस जलवायु समझौता। अगर वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो संभव है कि अमेरिका का ध्यान फिर से आंतरिक मुद्दों पर अधिक रहेगा और वैश्विक सहयोग कमज़ोर हो सकता है। यह अन्य देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

2. भारत पर प्रभाव
ट्रम्प और भारत के बीच पिछले कार्यकाल में अच्छे संबंध देखे गए थे। उन्होंने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूती देने की बात की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनका अच्छा संबंध रहा। ट्रम्प की वापसी भारत के लिए कई मामलों में फायदेमंद हो सकती है:
- व्यापार: ट्रम्प भारत के साथ व्यापारिक संबंध सुधारने पर जोर दे सकते हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ हो सकता है।
- चीन के खिलाफ सहयोग: ट्रम्प का रुख चीन के प्रति सख्त है। उनकी वापसी से चीन को लेकर अमेरिका और भारत के बीच सहयोग बढ़ सकता है, जिससे भारत को सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूती मिल सकती है।
- टेक्नोलॉजी और रक्षा: भारत-अमेरिका के बीच रक्षा और तकनीकी समझौतों की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं, जो भारत के रक्षा क्षेत्र को अधिक सशक्त बनाएगा।
3. रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रभाव
ट्रम्प का रुख रूस के प्रति नरम रहा है, और उन्होंने पहले भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तारीफ की थी। अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं, तो संभव है कि यूक्रेन को अमेरिका की सैन्य और आर्थिक मदद में कमी आ सकती है। इसके कुछ संभावित परिणाम हो सकते हैं:
- युद्ध में संभावित कमी: अगर ट्रम्प रूस के साथ संबंध सुधारने का प्रयास करते हैं, तो यह युद्ध के तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। ट्रम्प ने पहले भी युद्ध को जल्द समाप्त करने की बात की थी, जिससे रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति का रास्ता निकल सकता है।
- नाटो पर असर: ट्रम्प ने नाटो में अमेरिका की भूमिका को कम करने की बात की है। अगर अमेरिका नाटो से कुछ हद तक पीछे हटता है, तो यह यूरोपीय देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जो कि यूक्रेन को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
4. वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था
ट्रम्प की नीतियां वैश्विक व्यापार पर भी असर डाल सकती हैं। उनकी व्यापार नीति में अमेरिका के उद्योगों की रक्षा पर जोर दिया गया है, और इस कारण व्यापारिक सहयोग में कई देशों के साथ उनके विवाद रहे हैं। उनकी वापसी से संभावित व्यापारिक विवाद और अमेरिकी आयात-निर्यात नीतियों में बदलाव की संभावना है, जिसका असर वैश्विक बाजारों पर पड़ेगा।
5. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण पर रुख
ट्रम्प का दृष्टिकोण जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर कमजोर माना जाता है। वे पहले ही पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर कर चुके हैं। उनकी दोबारा जीत से जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक स्तर पर प्रयासों को झटका लग सकता है, और पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी नीतियों में बदलाव आ सकता है।
अगर ट्रम्प 2024 में अमेरिकी चुनाव जीतते हैं, तो उनके “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण से दुनिया भर में बदलाव देखने को मिल सकता है। भारत के लिए यह एक अवसर भी हो सकता है और साथ ही चुनौतियां भी। वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति की संभावना भी बन सकती है। वैश्विक राजनीति और कूटनीति में संभावित बदलावों के साथ, यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रम्प की नीतियां किस हद तक अंतरराष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक स्थिरता पर असर डालती हैं।
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