दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण की वर्तमान स्थिति
दिल्ली की यमुना नदी में झाग का बनना एक बड़ी चिंता का विषय है, और यह समस्या हर साल सर्दियों के मौसम में और अधिक गंभीर हो जाती है। 18 अक्टूबर 2024 तक स्थिति में यमुना नदी में झाग का मुख्य कारण प्रदूषण के स्तर में अत्यधिक वृद्धि है। इस झाग का नदी के पानी पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और इसका दृश्य प्रभाव भी काफी डरावना है।
दिल्ली : यमुना नदी में दिखा जहरीला झाग
— Rj Jigyasa (@jigyasa2024) October 18, 2024
◆ वीडियो यमुना नदी के कालिंदा कुंज का है
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यमुना में झाग बनने के मुख्य कारणः
1. डिटर्जेंट और रसायन :-
यमुना में झाग बनने का सबसे बड़ा कारण पानी में घरेलू और औद्योगिक डिटर्जेंट, रसायनों का अत्यधिक मिश्रण है। सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के माध्यम से छोड़े गए पानी को पूरी तरह से शुद्ध नहीं किया जा रहा है, जिससे डिटर्जेंट और फॉस्फेट की अधिकता हो रही है। ये रसायन जब पानी में घुल जाते हैं तो झाग बन जाते हैं।
2.सीवेज का असंसाधित पानी :-
दिल्ली में अधिकांश सीवेज को ठीक से संसाधित किए बिना यमुना में छोड़ दिया जाता है। इस अनुपचारित सीवेज में विभिन्न प्रकार के कार्बनिक और रासायनिक तत्व होते हैं, जो फोम के निर्माण में योगदान करते हैं। सीवेज के कारण नदी में ऑक्सीजन का स्तर भी कम हो जाता है, जिससे जलीय जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है।
3. घरेलू कचरा और प्लास्टिक :-
यमुना के तट पर स्थित कई उद्योग अपने Industrial waste को सीधे नदी में छोड़ते हैं। इनमें रंग, रसायन, रंग और अन्य हानिकारक तत्व होते हैं जो पानी की सतह पर झाग पैदा करते हैं। ये तत्व पानी को जहरीला बनाते हैं, जिससे फोम बनता है।
4. सर्दियों के दौरान पानी के प्रवाह में कमी :-
सर्दियों के मौसम में यमुना नदी का जल प्रवाह कम हो जाता है, जिससे प्रदूषक अधिक घने हो जाते हैं। जब नदी में पानी का प्रवाह कम होता है, तो प्रदूषक अधिक समय तक सतह पर रहते हैं और झाग की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

. झाग से मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है :
यमुना के प्रदूषित पानी और झाग के संपर्क में आने से त्वचा की समस्याओं, एलर्जी और जल जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। फोम में मौजूद रसायन मानव शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।
.पर्यावरण पर प्रभाव :
झाग के कारण पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों का जीवन खतरे में पड़ जाता है। यह जल पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
.सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभावः
यमुना नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। फोम और प्रदूषित पानी के कारण धार्मिक अनुष्ठान करना मुश्किल हो जाता है, खासकर छठ पूजा जैसे त्योहारों के दौरान।
.सरकार और अधिकारियों के प्रयासः
हालांकि सरकार ने फोम की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन 18 अक्टूबर 2024 तक समस्या का पूरी तरह से समाधान नहीं हुआ है। यमुना कार्य योजना और अन्य स्वच्छता अभियानों के बावजूद, अपशिष्ट जल का उचित निपटान करने और सीवेज उपचार संयंत्रों की क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता है।
झाग की समस्या से निपटने के लिए आम जनता और सरकारी एजेंसियों दोनों को मिलकर काम करना होगा ताकि यमुना के पानी को साफ किया जा सके और नदी फिर से जीवनदाता बन सके।