छठ पूजा का पर्व, जो मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा का प्रतीक है, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। यह चार दिनों का पर्व गहरी आस्था, पूजा-अर्चना और कठोर व्रत से जुड़ा हुआ है, जिसमें सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस साल छठ पूजा का महापर्व 5 नवंबर से 8 नवंबर तक पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
Highlights
-दीवाली के बाद छठ पूजा होती है।
-यह पर्व 4 दिन तक मनाया जाता है।
-छठ पूजा के व्रत को निर्जला किया जाता है।

छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन व्रतधारी स्नान कर शुद्धता प्राप्त करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। नहाय खाय का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धि है, जिससे व्यक्ति नई ऊर्जा और सकारात्मकता के साथ व्रत की शुरुआत कर सके। इस दिन परंपरागत भोजन जैसे कि कद्दू, चिउड़ा, चावल, और दाल तैयार किए जाते हैं। घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है और केवल नए बर्तनों का उपयोग किया जाता है ताकि पवित्रता बनी रहे।
नहाय खाय के अगले दिन खरना होता है। इस दिन उपवास रखा जाता है और शाम को विशेष प्रसाद के रूप में गुड़ से बनी खीर तैयार की जाती है। नए मिट्टी के चूल्हे पर बनाई गई इस खीर को छठी मैया को भोग अर्पित किया जाता है, फिर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। खरना के साथ ही व्रतधारी का निर्जला उपवास आरंभ होता है, जो संध्या अर्घ्य तक चलता है। इस दिन की पूजा में पवित्रता और भक्ति का विशेष महत्व है।
तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य
खरना के बाद तीसरे दिन, संध्या के समय व्रतधारी डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है। यह व्रत का सबसे कठिन दिन होता है क्योंकि इस दिन व्रतधारी पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए रहते हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने की प्रार्थना की जाती है। इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्य एकत्र होते हैं और घर में विशेष साफ-सफाई रखी जाती है ताकि पूजा विधि में किसी प्रकार की कमी न रहे।
चौथा दिन: उषा अर्घ्य
छठ पर्व का चौथा और अंतिम दिन उषा अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रतधारी सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की रक्षा का प्रतीक मानी जाती है। उषा अर्घ्य के बाद व्रत का पारण किया जाता है और इस प्रकार यह महापर्व संपन्न होता है।
छठी मैया का आशीर्वाद
सनातन धर्म में छठी मैया को संतान की रक्षा करने वाली देवी माना गया है। मान्यता है कि छठ पूजा करने से सूर्य देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है। जो भी श्रद्धालु इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसे सुख-समृद्धि और संतान का सुख प्राप्त होता है।
छठ पूजा केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि अनुशासन, समर्पण और आस्था का पर्व है। यह पर्व हमारे जीवन में ऊर्जा, सकारात्मकता और नई उमंग भरता है। इस साल भी छठ पूजा पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी, जिसमें लाखों श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की आराधना कर उनके आशीर्वाद की कामना करेंगे।
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