
कनाडा में खालिस्तानी आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारतीय राजदूत ने हाल ही में गंभीर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि कुछ खालिस्तानी संगठन भारतीय छात्रों को अपने प्रोपेगेंडा के तहत प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बन सकता है।
भारतीय छात्रों को निशाना बनाना

भारतीय राजदूत ने बताया कि खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों द्वारा भारतीय छात्रों को कनाडा में निशाना बनाया जा रहा है। ये संगठन छात्रों को अपनी विचारधारा से प्रभावित करने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं। छात्रों को झूठे वादे, नौकरी के अवसर, या उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं का उपयोग करके खालिस्तानी विचारधारा की ओर आकर्षित किया जा रहा है।
शिक्षा और भविष्य के लिए खतरा
राजदूत ने यह भी स्पष्ट किया कि खालिस्तानी विचारधारा का प्रचार भारतीय छात्रों के शैक्षणिक और व्यक्तिगत भविष्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। खालिस्तानी आतंकवादी संगठन न केवल छात्रों की पढ़ाई में बाधा डाल रहे हैं, बल्कि उनके भविष्य की संभावनाओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये समूह छात्रों को कनाडा के समाज में भी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे कनाडा और भारत के बीच संबंधों में भी खटास आ सकती है।
भारत-कनाडा संबंधों पर प्रभाव
भारतीय राजदूत ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि खालिस्तानी संगठनों की यह हरकत दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को खराब कर सकती है। कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर पहले भी भारत सरकार ने चिंता व्यक्त की है, और यह स्थिति अब और गंभीर होती दिख रही है। उन्होंने कनाडा की सरकार से इस मुद्दे पर कठोर कदम उठाने का अनुरोध किया है, ताकि भारतीय छात्रों को सुरक्षित माहौल में पढ़ाई का अवसर मिल सके।
कनाडा सरकार की जिम्मेदारी
भारतीय राजदूत ने कनाडा सरकार से आग्रह किया है कि वह खालिस्तानी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखे और भारतीय छात्रों को इस तरह के आतंकवादी संगठनों के प्रभाव से बचाने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसे विवादों से बचा जा सके।
कनाडा में भारतीय छात्रों पर खालिस्तानी आतंकियों का बढ़ता प्रभाव एक चिंताजनक मुद्दा है, जो न केवल छात्रों के भविष्य बल्कि भारत-कनाडा संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में दोनों देशों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा, ताकि छात्रों को बेहतर और सुरक्षित भविष्य प्रदान किया जा सके।