BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) दुनिया की पाँच उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण मंच है, जो वैश्विक विकास और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। रूस में आगामी BRICS सम्मेलन इस संगठन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, क्योंकि यह ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक हालात तेजी से बदल रहे हैं।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच BRICS की भूमिका
आज की दुनिया में कई आर्थिक चुनौतियाँ सामने हैं, जैसे कि मुद्रास्फीति, आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएँ, और प्रमुख वैश्विक आर्थिक शक्तियों के बीच तनाव। इन सबके बीच BRICS समूह के देश इस सम्मेलन में अपने साझा दृष्टिकोण को मजबूत करने का प्रयास करेंगे। रूस की मेजबानी में होने वाले इस सम्मेलन में ये देश अपनी आर्थिक संप्रभुता और साझा विकास के नए रास्तों की खोज करेंगे, ताकि वे बाहरी दबावों से निपटने के लिए अधिक सशक्त हो सकें

रूस के लिए रणनीतिक महत्व
रूस के लिए, यह सम्मेलन वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का एक अवसर है। हाल ही में पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रूस पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ गया है। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सम्मेलन का उपयोग करके अपने वैश्विक सहयोगियों को यह संदेश देना चाहेंगे कि रूस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग नहीं है। साथ ही, वे BRICS के माध्यम से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों के साथ अपने आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने का प्रयास करेंगे।
आर्थिक और व्यापारिक साझेदारी का विस्तार
BRICS सम्मेलन में व्यापारिक सहयोग और विकासशील देशों के लिए वित्तीय समर्थन पर विशेष जोर रहेगा। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा होगी:
- नई विकास बैंक (NDB) की भूमिका को मजबूत करना।
- सदस्य देशों के बीच स्थायी व्यापार समझौतों की दिशा में कदम बढ़ाना।
- वैश्विक व्यापार संतुलन को सुधारने के लिए स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन की संभावनाओं का आकलन।
इसका उद्देश्य होगा कि सदस्य देश आपसी व्यापार को बढ़ावा देकर एक ऐसा आर्थिक ढांचा तैयार करें, जिससे वे पश्चिमी देशों की मुद्रा प्रणाली और आर्थिक दबावों से बाहर निकल सकें।
वैश्विक राजनीति और कूटनीति में BRICS का योगदान
इस सम्मेलन में वैश्विक राजनीति और कूटनीति के मामलों पर भी चर्चा होगी। खासकर, यूक्रेन संकट और चीन-अमेरिका के बीच व्यापारिक युद्ध जैसे मुद्दों पर BRICS देशों की राय महत्वपूर्ण हो सकती है। सदस्य देश अपनी एकजुटता दिखाते हुए, वैश्विक राजनीति में संतुलन बनाए रखने के लिए एक साझा दृष्टिकोण प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके साथ ही, दक्षिण-दक्षिण सहयोग के तहत विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने पर जोर दिया जाएगा।
पर्यावरण और सतत विकास
BRICS देशों के लिए पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर ध्यान देना भी इस सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। विकासशील देशों के सामने पर्यावरणीय चुनौतियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। इस संदर्भ में, BRICS सदस्य देश कार्बन उत्सर्जन में कटौती, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और सतत कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विचार करेंगे।
रूस में आगामी BRICS सम्मेलन सिर्फ आर्थिक और व्यापारिक सहयोग तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह एक ऐसे मंच के रूप में उभरेगा जो वैश्विक संतुलन, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और आर्थिक संप्रभुता को बढ़ावा देगा। यह सम्मेलन यह साबित करेगा कि दुनिया के उभरते हुए देश मिलकर एक नया वैश्विक दृष्टिकोण बना सकते हैं, जो उन्हें वैश्विक राजनीति और आर्थिक नीतियों में एक सशक्त भूमिका निभाने के योग्य बनाएगा।
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